💞💕छठ!💐💐🌺💥
छठ केवल आज नही है। सृष्टि में जिस दिन तक डूबते सूरज को नमन करने वाला एक व्यक्ति भी बचा रहेगा, हर उस दिन तक को छठ समझिए। इस कृतघ्न दुनिया में विगत के प्रति कृतज्ञ हो जाना छठ होना है। छठ सनातन का छठिहार है।
उगते सूरज मात्र को प्रणाम करने वाले कभी ‘लोग’ नही हो सकते, इसका घोषणा पत्र है छठ। डूबते सूरज के रूप में अपने पितरों को सादर यह आमंत्रण देने का पर्व है छठ, कि कृपया इसी सृष्टि में, इसी धरा पर, इसी वंश में, इसी घर में फिर कल भी आइए। आइये आज की तरह ही सूरज बन ताकि कल भी आपकी संततियों का भोर हो।
छठ यही उद्घोष करता है कि हमें अभिमान है सूरजवंशी होने का, हमारा सूरज जहां हो हम वहीं होंगे सूरजमुखी बन। हमें सूरज से काम है चाहे वे उगें या डूब जायें।
हर तरह के कृतघ्नता के विरुद्ध कृतज्ञ होने का, स्वार्थ के उलट परमार्थ, सौदा नही संस्कार का उत्सव है छठ। सम्भावना मात्र के कारण नही, अपितु भावनाओं के कारण जुड़ जाने की प्रेरणा का पर्व है छठ। भावना बनाम सम्भावना के अंतर को परिभाषित करता है छठ।
छठ यानी ऐसी सिंदूरी आभा का त्यौहार जो सदैव हमारी नाक बचाये रखे। शूपनखाओं के विरुद्ध सूप को हथियार बनाने का पावन पाबनि है छठ।
छद्म सेखुलरता की डाल पर अंधेरे के पक्ष में उलटा लटक रहे चमगादरों के विरुद्ध भोर का सुर, प्रभाती की तान है छठ। छठ है यानी हमें भी याद रहे छठी का दूध और याद भी करा पायें अमित्रों-अमानुषों तक को आवश्यकतानुसार।
मिट्टी के चूल्हे पर छन रहे ठकुए की सुगंध है छठ!
प्रणाम सादर।
साभार
ॐ श्रीसूर्यदेवाय नमः★
