तिलक है, ब्यूटी पार्लर है, बारात है, मेंहदी है, संगीत है, रोशनी है, आतिशबाजी है, महंगा बैंड बाजा-रोडलाइट है, फोटो हैं, डीजे है, सड़क पर डांस है, शराब है, कैटरर है, स्टॉल है, सब कुछ तो है ... पर
जनवासा नहीं है, पंगत नहीं है, पत्तल नहीं है, पीयर धोती पहने समधी नहीं है, स्नेह से गालियां देती समधिनें नहीं हैं । बुजुर्गों का सम्मान नहीं है...
मुहब्बत नहीं है, प्यार नहीं है, मनुहार नहीं है,
नाई का न्योता नहीं है ।
व्हाट्सएप पर निमंत्रण है ।
ना मेजबान का पता है।
ना मेहमान की खबर है।
ना कोई आपको पहचानता है,
ना आप किसी को जानते हैं।
घूमते बेयरों के हाथ से कुछ ले लीजिए।
बारात आई नहीं है... वरमाला हुई नहीं है।
बस आपको लिफाफा थमाकर निकल जाना है।
प्रिवेडिंग शूट की 'आकर्षक' फिल्म चल रही है।
और तीन जगह जाना है।
यही तो आज का जमाना है।
