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समर मरन हरि हाथ तुम्हारा। होइहहु मुकुत न पुनि संसारा॥

चले जुगल मुनि पद सिर नाई। भए निसाचर कालहि पाई॥4॥

भावार्थ:-युद्ध में श्री हरि के हाथ से तुम्हारी मृत्यु होगी, जिससे तुम मुक्त हो जाओगे और फिर संसार में जन्म नहीं लोगे। वे दोनों मुनि के चरणों में सिर नवाकर चले और समय पाकर राक्षस हुए॥4॥

🙏 जय श्री राम 🙏
🙏 जय श्री राधे कृष्ण 🙏

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