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सपनों की उड़ान को मिले पंख, खेती-बाड़ी करने वाले परिवार की बेटी बनी पायलट!
"लड़की होना कभी इस सफर में बाधा नहीं बना, क्योंकि परिवार ने कभी बेटे-बेटी में फर्क नहीं समझा। घर में हम तीन बहनें हैं। सबसे बड़ी बहन गीता डॉक्टर है और सबसे छोटी लक्षिता ने हाल ही में 10वीं कक्षा पास की है।
मेरे पिता का सपना था कि उनकी बेटियां कुछ अलग करें। पायलट बनने के मेरे इस सफर में सबसे अहम भूमिका पापा की रही। उन्होंने ही मुझे पायलट बनाने का सपना देखा था।"
- गरिमा चौधरी
राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर के काश्मीर गांव की बेटी गरिमा चौधरी ने अपने सपने और अपने पिता खींयाराम के संघर्षों को सफल कर दिखाया है।
4 सालों की मेहनत के बाद प्राइवेट एयरलाइंस कंपनी में बतौर पायलट गरिमा चौधरी का सिलेक्शन हुआ है। अब ट्रेनिंग के बाद वह आसमान में हवाई जहाज उड़ाती नज़र आएंगी और ऐसा करने वालीं बाड़मेर की पहली महिला होंगी।
गरिमा ने अप्रैल 2019 में भुवनेश्वर में कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग के लिए फ्लाइंग क्लब ज्वाइन किया था। इस एक साल में यहां 22 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग को पूरा किया और 6 में से पांच पेपर क्लियर किए। इसके एक साल के बाद कोविड आ गया, जिस वजह से दो साल तक घर में रहना पड़ा।
2022 में फिर पुणे में फ्लाइंग क्लब जॉइन किया। यहां पर 185 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग के साथ बाकी रहे एक पेपर को पूरा किया। इसके बाद फरवरी 2023 में कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिला।
गरिमा ने बताया कि इसके बाद साउथ अमेरिका में 2 महीने की ट्रेनिंग करने के बाद उन्होंने एयरलाइन में पायलट पद भर्तियों में भाग लेना शुरू किया।
तीन बार पहले प्रयास किए, लेकिन किसी न किसी वजह से पीछे रह जाती थीं। चौथे प्रयास में जाकर सफलता मिली है।
किसान परिवार से आने वाली इस बेटी ने पायलट बनकर परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। अपरंपरागत करियर के इस क्षेत्र में उन्होंने तमाम बाधाओं को अपने दम पर पार करते हुए एक उल्लेखनीय उदाहरण पेश किया है।
गरिमा, आपको बहुत-बहुत बधाई व उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं। आपकी इस उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है।

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