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अमोल की फीमेल को-वर्कर्स को अकसर नाईट शिफ्ट के बाद देर से निकलना और घर पहुँचने के लिए लंबा सफ़र करना पड़ता था। इस वजह से वे घबराहट और असुरक्षित महसूस करती थी।

उन्होंने ऑफिस मैनेजमेंट के सामने, मीटिंग में इस समस्या को उठाया और अपनी फीमेल सहकर्मियों को भी खुलकर बोलने के लिए प्रोत्साहित किया। तब इस विषय पर मैनेजमेंट का ध्यान या और काफ़ी विचार-विमर्श के बाद ऑफिस की तरफ से women employees के लिए late night cab service की शुरुआत की गई। इसके लिए ऑफिस में पॉलिसी भी बनाई गई, जिससे कभी किसी महिला कर्मी को यह समस्या ना झेलनी पड़े।

इस तरह अब अमोल की महिला को-वर्कर्स ऑफिस से निकलने के बाद, सड़क पर चलने में भी खुद को ज़्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं।

हमारी पहल #betapadhaodeshjagao यही बताती है कि अपने बेटों को एक अच्छा, संवेदनशील और नेक शख़्स बनाने की शुरुआत घर से होती है।
सोचिए अगर समाज में हर पुरुष इसी तरह रूढ़िवादिता को तोड़ने में लग जाए, सबका सम्मान करे, और सही के लिए खड़ा होने लगे तो कितनी समस्याएं यूँ ही खत्म हो जाएंगीं! लेकिन इसकी शुरुआत भी हमसे ही होगी, हर माता-पिता से, हर शिक्षक से और पूरे समाज से।

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