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बाबा साहब आंबेडकर और स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवनी लेखक धनंजय कीर:

14 अक्टूबर 1956 को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और उनके अनुयायियों ने बौद्ध धर्म अपना लिया, जो एक महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक घटना थी।

लेकिन सावरकर ने इस परिवर्तन को हिंदुत्व के दृष्टिकोण से देखा।

सावरकर ने कहा कि बौद्ध आंबेडकर मूल रूप से हिंदू आंबेडकर ही हैं, क्योंकि बौद्ध धर्म भले ही वेदों पर आधारित न हो, लेकिन यह एक भारतीय धार्मिक प्रणाली है और हिंदुत्व की सांस्कृतिक और सभ्यतागत परिधि के भीतर ही है।

सावरकर ने इसे धर्म परिवर्तन नहीं, बल्कि भारतीय पहचान की पुष्टि माना।

उन्होंने कहा कि उनकी परिभाषा के अनुसार, नव-बौद्धों के लिए भी भारत ही उनकी पुण्य भूमि और पितृभूमि है।

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