एक वार ब्राह्मण के घर की स्त्री स्नान कर रही थी. तभी संयोग से वहां से ब्राह्मण कुल शिरोमणि वाजीराव पेशवा की सवारी निकल रही थी. हाथी पर बेठे महाराज वाजीराव पेशवा को घर के अंदर आँगन मै स्नान कर रही स्त्री का चेहरा गर्दन तक दिख गया संयोग से ब्राह्मण स्त्री की नजर भी पेशवा जी से टकरा गयी . महाराज वाजीराव पेशवा जी तत्काल हाथी से नीचे उतर पैदल चलने लगे.. साथ चल रहे उनके अंग रक्षक ने हिम्मत जुटा कारण पूछा तो पेशवा जी वोले अनजाने मैने एक ब्राह्मण स्त्री की हत्या कर दी.. आज के वाद हाथी की सवारी नहीं करुँगा घोड़े की सवारी करुँगाऔर वास्तव मै थोड़ी देर वाद खवर मिली की उस ब्राह्मण स्त्री ने लज्जावस प्राण त्याग दिए... मेरे भैया बहिनों ऐसा रहा ब्राह्मणों का मर्यादित गरिमामय जीवन इतिहास..
अतः आप लोग भले ही आधुनिक रहें लेकिन पूर्वजों की अर्जित की हुई महानता को याद रखें. ब्राह्मण ऐसे ही पूज्य नहीं हुए हमारे पूर्वजों का त्याग तपस्या. त्रिकाल संध्या सहित जीवन सदैव पवित्रता पूर्ण मर्यादित गरिमामय रहा सदैव ब्राह्मण धर्म का पालन करें।
जय हिंद जय भारत
साभार सोशल मीडिया 👏
