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दिल्ली में वीर सावरकर कॉलेज का होना भारत की एक साहसी और योग्य संतान को देश की राजधानी उचित सम्मान देने की भव्य शुरुआत है।

वीर सावरकर 25 साल तक काला पानी, ब्रिटिश जेल, नज़रबंदी तथा जिला बंदी में रहे।

नेहरू समेत जो नेता अक्सर महलों में क़ैद किए जाते थे, वे इस शौर्य को समझ नहीं पाए।

लाल बहादुर शात्री और फिर इंदिरा गांधी ने उन्हें उचित सम्मान दिया। स्वतंत्रता सेनानी पेंशन दिया। डाक टिकट जारी किया।

नेहरू ख़ानदान की वर्तमान पीढ़ी इतिहास से कटी हुई है।

गमलों में उगे
@RahulGandhi
जैसे लोग सावरकर को नहीं समझ पाएँगे।

सावरकर जाति-मुक्ति और आधुनिकता के भी प्रणेता थे। भारत का प्रथम सर्व जातीय पतित पावन मंदिर सावरकर द्वारा स्थापित किया गया। सार्वजनिक सर्वजातीय सहभोजन भी उनकी शुरू की हुई परंपरा है।

पोंगापंथी जातिवादी और कठमुल्ला दोनों ही सावरकर को नहीं समझ पाएँगे

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