25 साल हो गए उत्तराखंड बने हुए। इस राज्य को अलग पहचान और विकास के सपने के साथ बनाया गया था, लेकिन इतने सालों बाद भी स्थिति बेहद निराशाजनक है। नेताओं ने कभी भी अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था, रोजगार या सड़क जैसे बुनियादी मुद्दों पर गंभीरता से नहीं सोचा।
जिसे भी सत्ता मिली, उसने केवल अपने स्वार्थ के लिए इस राज्य को जमकर लूटा। चुनाव के समय शराब की बोतलें और नोट बांटकर वोट हासिल करने की राजनीति यहां आम हो गई। ये सत्ता के भूखे लोग केवल चुनाव के वक्त जनता को याद करते हैं, और चुनाव के बाद गायब हो जाते हैं।
अब, जब 2026 में अपने क्षेत्र से प्रतिनिधित्व खत्म होने का डर सता रहा है, तो वही नेता अपने गांव के लोगों से वहां जाकर वोट करने की अपील कर रहे हैं। खैर, भले ही ये अपील स्वार्थ के लिए की जा रही हो, कम से कम आज अपने गांव की याद तो आई।
