आज समाचार है कि बिंदाल और रिस्पना के फ्लट जोन में बसे हुए लोगों को उजाड़ा जा सकता है और इस विषय में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नोटिस जारी कर दिए हैं। हमने 2016 में राज्य भर की जितनी भी मलिन बस्तियां हैं एक सर्वेक्षण आंकड़ों पर आधारित और रिवर फ्रंट बनाकर नदियों को संरक्षित करने की योजना के क्रियान्वयन के लिए मलिन बस्तियों वासियों को मालिकाना हक देने का कानून बनाया था, समय बीतता गया, सरकारें बदलती गई और मलिन बस्तियों के दबाव में अध्यादेश लाकर उनको नहीं हटाया जाएगा यह सरकार ने कदम उठाया। मालिकाना हक देने जिसकी प्रक्रिया हम शुरू करके गए थे, शायद 500 लोगों को तत्कालीन जिलाधिकारी देहरादून ने मालिकाना हक के दस्तावेज दिए थे तो मालिकाना हक देने और नहीं उजाड़ा जाएगा इसमें बहुत बड़ा अंतर है और आज जो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तलवार लटक गई है उसका कारण वर्तमान सत्तारूढ़ दल की मलिन बस्तियों के प्रति अनदेखी है।
मैं मलिन बस्ती वासियों से प्रार्थना करना चाहता हूं कि चुनाव में वह इस चुनाव में इस वर्तमान सत्तारूढ़ दल को अवश्य दंडित करें।
