26 ث - ترجم

तुलसी’ काया खेत है, मनसा भयौ किसान।
पाप-पुन्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान।।

तुलसी दास जी
भावार्थ:- इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास कहते हैं कि हमारा शरीर एक खेत के समान है और मन इस खेत का किसान है। किसान जैसे बीज खेत में बोता है अंत में उसे वैसे ही फल मिलते हैं। इसी तरह अपने

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