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आखिर में हर्षा रिछारिया ने मान लिया कि "मैं कोई साध्वी नहीं हूं"।।

मेरा क्या मैं तो अपने सनातन धर्म को ऐसे बहुरूपियों से बचाना चाहता था,मेरा प्रयास सफल हुआ।