इस पेंदीविहीन - रीढ़विहीन , चरणचाट शख्स के पेट में उस कॉंग्रेस के लिए मरोड़े पड़ रहे हैं , जिस कॉंग्रेस के साथ इसने खुद गद्दारी की और बिहार में कॉंग्रेस को तोड़ने के लिए अपनी तरफ से पुरजोर जोर आजमाईश भी .. गौरतलब है कि इसने नीचता की सारे हदें उस कॉंग्रेस के विरुद्ध पार कीं , जिस कॉंग्रेस ने इस जैसे नक्कारे को वरीयता को नजरअंदाज करते हुए प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर तरजीह दी और लालू - नीतीश जैसे कद्द्वार राजनीतिक हस्तियों के साथ बैठने का मौका दिया ..
कॉंग्रेस के खिलाफ अनैतिकता की पराकाष्ठा पार करते हुए ये गलीज ये भी भूल गया था कि इसके बिना जनाधार वाले स्वर्गीय पिता का राजनीतिक अस्तित्व भी कॉंग्रेस की वजह से ही था और इसे खुद पहली बार अपने नाम के आगे माननीय लगाने का तमगा भी कॉंग्रेस की कृपा से ही हासिल हुआ था ..
