भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, और नैना जायसवाल इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। महज 8 साल की उम्र में 10वीं पास करने वाली नैना ने 13 की उम्र में मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन पूरा कर लिया। 15 साल में वह एशिया की सबसे कम उम्र की पोस्टग्रेजुएट बन गईं। 17 की उम्र में PhD शुरू कर, 22 साल की उम्र में वह भारत की सबसे युवा महिला PhD धारक बनीं।
नैना का शोध "माइक्रोफाइनेंस से महिला सशक्तिकरण" पर आधारित था। पढ़ाई के साथ-साथ नैना एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की टेबल टेनिस खिलाड़ी भी हैं। होमस्कूलिंग की मदद से उन्होंने पढ़ाई और खेल दोनों में संतुलन बनाया।
नैना की कहानी साबित करती है कि मेहनत और लगन से उम्र की हर सीमा को पार किया जा सकता है। यह हर युवा के लिए प्रेरणा है।
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