आज एक नीच आदमी गोयबल्स की औलाद और उसका देश मानव विरोधी मीडिया कुंभ के कुकर्म को ढकने के लिए नेहरू के नाम पर झूठा आरोप लगा रहे हैं कि ने 1954 में विशेष स्नान के दिन संगम में छलांग लगा दी थी इसलिए भगदड़ मची थी।
ये बात सरासर झूठ है और तमाम भाजपाई मेरी बात से सहमत हैं जैसे कि मेरी मां ने उम्रभर मुझे बताया कि 1954 में भगदड़ इसलिए मची थी कि संगम में आम आदमियों ने नागाओं से पहले स्नान कर लिया था और इससे नाराज होकर नागाओं ने बवाल कर दिया था और ॰लोगों को त्रिशूल और भाले लेकर दौड़ा लिया था और हाथी भी दौड़ा दिये थे तब भगदड़ में लोग मरे थे। नेहरू ने स्वयं किसी वीआईपी इंतजाम से मना किया था। हिम्मत है तो बाबू राजेन्द्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति का नाम लो जिन्होंने एक माह का कल्पवास किया था और तीन बार दिन में स्नान करते थे और सुपर वीआईपी थे और नेहरू ने मुख्यमंत्री पं गोविंद बल्लभ पन्त के जरिए बाबू राजेन्द्र प्रसाद के लिए विशेष इंतजाम करवाया था।
वो नेहरू थे जब भगदड़ के बाद संसद में राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन ने सवाल उठाया तो नेहरू ने स्वयं जवाब देते हुए पढ़ा और संसद की इस चर्चा का मुलाहिजा फरमाएं कि नेहरू स्वयं अंधविश्वास को दूर करने के लिए कहते हैं जवाब देते हुए कि मैं ऐसे अवसरों पर जानबूझ वहां नहीं नहाता क्योंकि लोग ये न समझें कि मैं इस चीज को प्रोत्साहन दे रहा हूं।
नेहरू ने बेशक ब्रिटिश शासन में जब गवर्नर जनरल लिनलिथगो ने कुंभ नहाने पर रोक लगा दी थी और संगम के आसपास जंजीरे लगा दी थीं और घुड़सवार पुलिस वहां मौजूद थी तो नेहरू ने घुड़सवार के नीचे यानी घोड़े के पेट के नीचे से निकलकर संगम में छलांग लगा दी और सरकार की अवज्ञा कर दी।
बताओ नफरती चिंटूओ तब तुम्हारी हिम्मत थी स्नान करने की?
