बगल में कूड़ेदान है, लेकिन हम उसके बाहर फेंकेंगे। जब तक हमारी यह प्रवृत्ति ठीक नहीं होगी तब तक हम अपने आसपास स्वच्छ वातावरण तैयार नहीं कर पाएंगे।
हमें स्वयं भी कूड़ेदान का प्रयोग करना है और दूसरों को भी इसके लिए बाध्य करना है। तभी बनेगी "स्वच्छ काशी, सुंदर काशी"।
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