लालू जी की देखा - देखी ढेरों नेतागण उनके स्टाईल में होली ( कुर्ता - कपड़ा फाड़ ) होली खेलते हैं , लालू जी की गँवई व् ठेठ बिहारी शैली की कॉपी करने की कोशिश करते हैं , मगर लालू जी वाली बात , लालू जी वाला सहज अंदाज किसी में नहीं आता , लालू जी की बोली, लालू जी की शैली .. सब में सब नैसर्गिक ( नैचुरल ) था / है , उनका अनुसरण करने वाले , उनकी कॉपी करने वाले फूहड़ एक्टिंग करते दिखते - प्रतीत होते हैं .. वजह साफ़ है " लालू जी ने वही बोला , वही किया, जो - जो/ जैसा उन्होंने अपने बचपन से प्रौढ़ावस्था तक जिया और अनुभव किया ".. लालू जी ने दिखावे के लिए कभी कुछ नहीं किया, हरेक स्थिति - परिस्थिति - माहौल में अपने नैचुरल सेल्फ को बरकरार रखना ही लालू जी की खासियत है और दूसरों को लालू जी से यही सीखने की जरूरत है " ..
