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पुणे की प्रतीक्षा टोंडवालकर ने साबित किया कि मेहनत और लगन से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। 17 साल की उम्र में शादी और 20 साल में विधवा होने के बाद, प्रतीक्षा ने हार नहीं मानी। उन्होंने एसबीआई में स्वीपर की नौकरी शुरू की और साथ ही पढ़ाई जारी रखी।
प्रतीक्षा ने मैट्रिक और ग्रेजुएशन पास करने के बाद भी अपनी मेहनत जारी रखी। उनकी लगन देखकर उन्हें क्लर्क, फिर ट्रेनी ऑफिसर और आखिरकार एजीएम (एसिस्टेंट जनरल मैनेजर) के पद तक पदोन्नति मिली। एसबीआई ने उनकी कर्तव्यनिष्ठा और संघर्ष को सम्मानित भी किया।
प्रतीक्षा की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो मुश्किल हालात में हार मान लेता है। उन्होंने साबित किया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

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