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"बेशक़ होगा शाह वो, मैं अलमस्त फ़क़ीर
उसका पीर कुबेर है, मेरा पीर कबीर!"
-- नरेश शांडिल्य
कबीर की फक्कड़ मस्ती, उनकी बेबाक शैली और गहरी आत्मदृष्टि को अपने दोहों में आत्मसात करने वाले प्रसिद्ध कवि नरेश शांडिल्य के दोहे केवल पढ़े नहीं जाते, जिये जाते हैं। श्वेतवर्णा प्रकाशन से सद्य प्रकाशित उनका दोहा-संग्रह 'मेरी अपनी सोच' आत्मबोध और सत्य की खोज का साक्षी है।
हिंदी विभाग, शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं साहित्यिक संस्था ‘वयम्’ के संयुक्त तत्वावधान में नरेश शांडिल्य की इस पुस्तक पर चर्चा का आयोजन किया जा रहा है:-
दिनांक : सोमवार, 24 मार्च 2025
समय : प्रातः 11 बजे
स्थान : पेशवा बाजीराव सभागार, शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
आइए, इस काव्य-यात्रा के सहभागी बनें! 💐💐

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