जय हिन्द जय भारत
जब दिल्ली के आसपास के इलाकों में किसान आंदोलन हो रहा था और मोदी जी ने माफी मांगते हुए तीनों बिल वापस ले लिए थे तो उस समय मेरे एक मित्र ने हँसी उड़ाते हुए कहा था कि...
देख लिया न अपने फट्टू मोई जी की करतूत ???
अभी इंदिरा रहती न तो सबको सबक सिखा देती.
और, उस समय भी मैंने हंसते हुए जबाब था कि इसी सबक सिखाने के चक्कर में तो वो गई.
और हाँ...
तुम सब चीज पर संदेह कर लो लेकिन............👇
और हाँ...
तुम सब चीज पर संदेह कर लो लेकिन “मोई जी” की राजनीतिक सूझ बूझ पर संदेह करके अपनी मूर्खता का ही परिचय दे रहे हो.
मोदी जी के साथ जो...
मोटा भाई, डोभाल और जयशंकर जी हैं न...
वे अब तक के बेस्ट कॉम्बिनेशन हैं किसी भी समस्या से निपटने के लिए.
खासकर डोभाल तो...
खाली अस्तानी डिपार्टमेंट के पीएचडी हैं.
इसीलिए, अगर ये लोग उन सबसे नहीं निपट सके तो समझो कि फिर कोई नहीं निपट सकेगा.
आम आदमी पार्टी ने इस आंदोलन में खूब पेट्रोल डालने की कोशिश की थी। आज पंजाब में खुद AAP इस आग में झुलस रही है। क्योंकि असली किसानों को समझ आ चुका है कि बिलेन कौन है।
खैर...
आज महज 3 साल बाद ही उन खालिस्तानियों का डेरा-डंटा उखड़ना शुरू हो गया... और, वो समय दूर नहीं है जब ये सिर्फ इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जायेगा.
अगर सूक्ष्मता से देखें तो...
कहानी बिल्कुल शतरंज के घोड़े जैसी थी जो देख यहाँ रहा था और वार वहाँ कर रहा था.
असल में हुआ ये था....
किसान आंदोलन करके कहीं कुछ था ही नहीं.
अगर , शुरुआत में कहीं कुछ थोड़ा बहुत था भी तो बाद में वो खालिस्तानियों द्वारा हाईजैक कर लिया गया था.
ये बात सिर्फ हमलोग ही नहीं बल्कि सरकार हमसे भी पहले से जान रही थी. लेकिन, उन्होंने चालाकी से अपने ऊपर किसान नाम का एक पर्दा लगा लगा था..
ठीक वैसे ही...
जैसे किसी इंसान के अंदर कोई भूत घुस जाता है.
अब आप भूत को मारने के चक्कर में अगर पीड़ित को मारोगे तो चोट और घाव इंसान को होने हैं न कि उनके अंदर घुसे भूत को.
इसीलिए, अगर उन्हें उसी समय सबक सिखाया जाता तो उससे दो बात होती...
पहला तो ये मैसेज जाता कि ये सरकार किसान विरोधी है जो हमारे अन्नदाता को बेरहमी से मारती है और उनपर अत्याचार करती है.
दूसरा मैसेज ये चला जाता कि ये सरकार सिख विरोधी है जो बहुतायत में जुटे हुए सिखों को बेरहमी से मारा.
इससे खालिस्तानियों को हमारे अन्य सिख बंधुओं को बरगलाने में मदद मिलती कि.... देखो, केंद्र में हिंदुओं की सरकार है इसीलिए उन्होंने हम सिखों पर इतने अत्यचार कर रही है....
अगर, हमारा अपना देश होता और अपनी सरकार होती तो हम पर इतना अत्याचार थोड़े न होता.
इस तरह.... उन्हें सबक सिखाने के चक्कर में हम अपना ही हाथ जला बैठते.
इसीलिए, मोदी सरकार चुपचाप शांत बैठी रही और नजर रखे रही कि.... इनको सपोर्ट कौन दे रहा है और पैसा कौन उपलब्ध करवा रहा है ?
उधर खालीस्तानी बॉर्डर एवं लालकिले पर उत्पात कर रहे थे और इधर मोदी एंड कंपनी उन सबकी कुंडली खंगाल रही थी...
सभी जड़ों एवं स्रोत को पहचान लेने के बाद....
मोई जी ने माफी मांगकर एवं बिल वापस लेकर उनके उत्पात करने का मुख्य पर्दा ही हटा दिया... और, उन्हें मजबूरन बॉर्डर से मजमा हटाना पड़ा.
जिसके बाद अध्याय दो शुरू हुआ कि.....
अगर आपको याद हो तो.. अभी 2 साल पहले की ही तो बात है गुरुद्वारे में इसको मार दो, उसको मार दो...
बेअदबी, गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान...
आदि आदि.
इसके पीछे की उन खालिस्तानियों की रणनीति ये थी कि जैसे ही केंद्र सरकार इसपर एक्शन लेगी, हम इसे अपनी कम्युनिटी पर हो रहे अत्याचार के रूप में इसे प्रचारित करेंगे और अपने प्रति सहानुभति बटोर कर कश्मीर जैसा एक नेक्सस खड़ा कर लेंगे...
लेकिन, उनका दुर्भाग्य कि मोदी सरकार उनकी हर रणनीति को अच्छी तरह समझ रही थी इसीलिए वो उचित समय का इंतजार कर रही थी.
और, ब्रिटेन में हुए तिरंगे के अपमान के साथ ही मोई सरकार को ये मौका मिल गया.
क्योंकि,
चाहे कोई भी विशेषकर देशभक्त सिख कम्युनिटी कभी ये बर्दाश्त नहीं कर सकती है कि उनके देश का अपमान हो क्योंकि वे हमेशा से देश के लिए अपना बलिदान देने वाली कम्युनिटी रही है.
इसीलिए...
अतिउत्साह में अपने देश का अपमान करना कालीस्तानियों के लिए एक आत्मघाती कदम रहा और ऐसा करके अपने ही देशभक्त समुदाय का समर्थन खो दिया एवं मोदी सरकार को मौका दे दिया कि वो चिर प्रतीक्षित कदम उठाकर अब इस समस्या को समाप्त कर दे...
फिर शुरू हुआ “आप्रेशन अज्ञात” 😂😂
