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सच्चे देव गुरु तेग बहादुर साहिब जी हरमंदिर साहिब के ठीक बाहर खड़े हैं, अंदर देखा।
कहते हैं 'बहुत रंग देखने को मिलेंगे' संगत के चेहरे पर उठता सवाल पता चला, तो कहा गया 'नानक जियान के इस घर के रंग पर संगत दूर से भी पहुंचेगी, यह धरती हमेशा रहेगी रंग में सुखद'.
अब तो पलायन की निशानी जा रही थी उस शहर के पतशाह की तरफ, जहाँ से गुजरते हैं लोगों के दरवाजे और सजदे में भीड़ सबकी, झोली दुआओं से भरी, हरियाली से भरी, घर में घुसती है, लेकिन बद-बु-बु-बु-बु-बु-बु-बु-बु-बु- लोगो ने घरों के दरवाजे यहां भी बंद कर दिए हैं. गुनाहों का भागीदार बना दिया है।
कहते हैं फिर से शब्द आ गए हैं 'भाई, दरवाजे बंद हो गए हैं'.
संगत को रमज समझ आई तरस आई पर अब पाक मुखारबंध से बाहर आ गए थे भला होने से कैसे रोक पाये और संगत पीछे थी और सतनाम श्री वाहेगुरु की आवाज गूंज रही थी जो चोगिरडे में रस घोल रहा था।
और इशारा अब खुदा की तरफ से आया फिर से शब्द आया कि भाई और माँ सीधे तुमसे आ रहे हैं
ना किसी ने पूछा ना भगवान ने बताया वाले को क्या पता था कि उनकी किस्मत जाग चुकी है और वाले अमर हो गए विश्व के अंत तक।
लोग खेत बांध कर निकले थे, गाँव में शांति थी और उसी सुकून भरे माहौल में कच्चे खुले मकान से सभा के कान पिघलने की आवाज़ निकलने लगी। कोई महिला मंत्र में थी और ध्वनि गूंज रही थी 'सतनाम श्री वाहेगुरु साहिब जी' 'सतनाम श्री वाहेगुरु साहिब जी'
एक ही द्वार के सामने शांत मन के पातशाह खड़े थे संगत पातशाह के साथ, मंत्र खत्म हो गए, अब शब्द गूंजने लगे 'नानक जियान कब खुलेगा नानक जियान की किस्मत।
मुस्के महाराज संगत की आवाज सुनाई दे रही थी 'मैं हरो बुहा ते खोलिया जे जरा' पीट रहा था दरवाजा खुला था और लोगों को एक कूल लेडी नजर आई।
गुरूओं के मुख पे नजर फेर ली, स्वर आया नानक निरंकारी नानक निरंकारी, पातशाह के आगे बी बी हरो झुकी।
प्रभु ने मुझे उठाया, सर पर हाथ रखा और फिर सभा ने 'मैया रब रजाई भक्ति' शब्द सुना।
और कच्चा मकान कब हवेली में बदल गया पता है क्या?
माई हरो के शब्दों पर राजा ने राजशाही की उपाधि लिखी थी।
ये राजतंत्र लाखो साल जिन्दा रहने वाला था तभी हर माई भाई के सर मे शब्द गूंजे थे 'मैया रब राजैयां, माई रब राजैयां' आकर देखो

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