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#झूठ_का_पर्दाफाश
हमने #यात्रा के संचालन के निर्णय के साथ ही निश्चय किया कि सरकारी विभागों और सरकार द्वारा चयन किये ठेकेदारों, विशेषतः नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रधानाचार्य को सौंपे गये काम की सफलता के लिए स्थानीय स्टेक होल्डर्स जिसमें पंडा-पुजारी, स्थानीय दुकानदार, होटलियर्स और टैक्सी-मैक्सी गाड़ी धारक, खच्चर व डोली-पालकी वाले, पीट्टू वालों को भी यात्रा की सफलता के लिए सक्रिय रूप से जोड़ेंगे। ऐसे सभी यात्रा प्रभावितों को सक्षम बनाये बिना यात्रा सफल हो ही नहीं सकती थी। यदि हम आपदा के उस समय विद्यमान नियमों के अनुरूप काम करते तो हमको प्रत्येक ऐसे नुकसान का जो आपदा के समय में हुआ था, हरिद्वार से लेकर के गंगोत्री-यमुनोत्री, श्री केदारनाथ, श्री बद्रीनाथ जी तक, उस सबका अनुमान लगाने में और फिर क्षति का अनुमान लगाने और क्षतिपूर्ति करने में 3 साल से अधिक का समय लग जाता और हम निर्णय कर चुके थे कि इसी वर्ष हम यात्रा प्रारंभ करेंगे, बहुत विचार विमर्श के बाद प्रभावित परिवारों से कहा कि आप स्वयं असेसमेंट करें। लोगों ने तीन तरीके का वर्गीकरण किया और उनमें जो अति प्रभावित और मध्यम दर्जे के प्रभावित क्षेत्र थे और जिनकी हमको अग्रिम क्षेत्रों में सरकारी विभागों के साथ सहयोग वांछित था, हमने उन पर भरोसा करने का फैसला किया और हमने निर्णय लिया कि इनसे कहा जाए कि आप स्वयं क्षति का मूल्यांकन करके दें अलग-अलग समूह और हम तदनुरूप उनके दिये गये प्रस्ताव को पारस्परिक सहमति से एक अंतिम रूप देकर मुआवजे का भुगतान करें, अधिकारियों में बड़ी घबराहट थी। तत्कालीन राजस्व सचिव कहते थे कि मुझे जेल जाने से बहुत डर लगता है, मैं जेल नहीं जाना चाहता हूं। अधिकारी, जिला अधिकारी से लेकर के जो रेवेन्यू के अधिकारी थे उनमें भी बहुत भय का वातावरण था। अनंतोगत्वा हमने उनसे कहा कि आप तो केवल इसको #मंत्रिमंडल के सम्मुख प्रस्तुत करेंगे, हम मंत्रिमंडल से फैसला करवाएंगे और पहले मुख्यमंत्री के रूप में मैं फैसला करूंगा, फिर मैं उसको मंत्रिमंडल के सम्मुख ले जाऊंगा और मंत्रिमंडल की अनुमोदन के बाद ही हम इस योजना को लागू करेंगे। तब कहीं जाकर हम सभी अधिकारियों को इस निर्णय के साथ सहमत करवाने व उसे क्रियान्वित करने के लिए तैयार कर पाए। प्रारंभिक हिचकिचाहट के बाद सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक इस अभियान में सरकार का साथ दिया। हमने मुवावजा वितरण के लिए यह जो नया मानक बनाया और प्रभावितों के चयन का, मुआवजे के आकलन और वितरण का, क्या वह हिंदू धर्म की #चारधाम_यात्रा की सफलता के लिए आवश्यक था या नहीं? आप विचार करें हमारी सरकार के इस फैसले ने हिंदू धर्म को कमजोर किया है या मजबूत??
मैं आपके ऊपर छोड़ता हूं। यदि हम ऐसा फैसला नहीं करते तो चारधाम यात्रा खंडित हो जाती, इसके बावजूद भी #भाजपा हमें सनातन और #हिंदू धर्म विरोधी दुष्प्रचारित करती है।
#uttarakhand

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