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बधाई हो… एक नए जीवन की शुरुआत के लिए!
यह इस साल यानि 2025 का तीसरा कैप्टिव-ब्रीडेड चूज़ा है, जो जैसलमेर स्थित साम कंज़र्वेशन ब्रीडिंग सेंटर में पैदा हुआ। यह गंभीर रूप से संकटग्रस्त ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GI को बचाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
एक मादा टोनी ने 6 मार्च को अंडा दिया था, और अब यह चूज़ा सुरक्षित रूप से जन्म ले चुका है। अब तक कुल 17 कैप्टिव-ब्रीडेड गोडावण हो चुके हैं।
कभी भारत के घास के मैदानों में आम दिखने वाले गोडावण अब मात्र 150 से भी कम बचे हैं।
बिजली की लाइनें, निवास स्थान का नुकसान और अंडों का शिकार इनके अस्तित्व के लिए गंभीर खतरे बन गए हैं।
Project GIB अपनी पूरी ताक़त से इन दुर्लभ पक्षियों को बचाने और फिर से जंगलों में बसाने के लिए जुटा है।
और यह नया चूज़ा है इन्हीं संरक्षण प्रयासों की जीती-जागती सफलता का एक सुंदर उदाहरण।
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