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मातङ्ग्यै ते नमो नमः।।
शुंभ-निशुंभसे पीड़ित होकर देवता भगवती दुर्गाकी दशविद्यात्मक स्तुति ही शिवपुराणमें करते हैं। इसी स्तुति
में वे माताका मातंगी नाम भी लेते हैं। सर्वविदित कथानुसार भगवती पार्वती आकर देवताओंके दुःखका कारण पूछती हैं। पीड़ित देवताओंकी दयनीय दशा देखकर देवीके शरीरसे एक कुमारी प्रकट होती है।
ततो गौरीतनोरेका प्रादुरासीत् कुमारिका।।
गौरीके तनसे कुमारी प्रकट हुई। गौरी कौन हैं? सबकी माता। जगन्माता। वेद-पुराण पग-पगपर इसकी घोषणा करते हैं।
जगत्पिता शिव: शक्तिर्जगन्माता च सा सती।।
शिव जगत्पिता और पार्वती जगज्जननी हैं। पार्वती, जो कि माता हैं, उन माताके अंगसे प्रकट होनेके कारण वह कन्या #मातंगी कहलाई।

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