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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। यह मंदिर सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला के घाट क्षेत्र में स्थित है और माना जाता है कि यह 13वीं शताब्दी में बनाया गया था। मंदिर के आसपास का क्षेत्र भीमाशंकर वन क्षेत्र में है, जहां दुर्लभ पौधे और पशु प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कहानी:
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार, कुंभकरण के पुत्र भीम ने भगवान शिव के साथ युद्ध किया था। युद्ध के दौरान भीम ने शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन भगवान शिव ने भीम को हरा दिया और वहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्व:
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और इसे बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के दर्शन करने से भक्तों को मानसिक शांति और सुख प्राप्त होता है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की विशेषताएं:
मंदिर का स्थान:
मंदिर सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला के घाट क्षेत्र में स्थित है, जो पुणे से 110 किलोमीटर दूर है।
भीमा नदी का उद्गम:
मंदिर के पास ही भीमा नदी का उद्गम स्थल है।
दुर्लभ वनस्पतियाँ और जीव-जंतु:
मंदिर के आसपास के क्षेत्र में दुर्लभ वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पाए जाते हैं।
सावन और महाशिवरात्रि:
सावन के महीने और महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन:
मंदिर के दर्शन करने के लिए भक्तों को लगभग 230 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
मंदिर के आसपास के क्षेत्र में घूमने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं।
निष्कर्ष:
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और इसे भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। इस मंदिर के दर्शन करने से भक्तों को मानसिक शांति और सुख प्राप्त होता है।

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