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*माँ जैसी है ये धरती।*
देश की मिट्टी का कर्ज चुकाना कोई आसान काम नहीं, यह तो जीवन की हर साँस में देशभक्ति का संकल्प मांगता है। जिस धरती पर जन्म लिया, उसकी रक्षा, सेवा और सम्मान हमारा धर्म है। सैनिक अपनी जान देकर इस कर्ज को अदा करते हैं, किसान अपने पसीने से और शिक्षक ज्ञान देकर। हर नागरिक अगर अपने हिस्से की जिम्मेदारी समझे, तो यह कर्ज धीरे-धीरे उतरता है। देश की मिट्टी सिर्फ ज़मीन नहीं, यह हमारी पहचान, हमारी माँ और हमारी आत्मा है।
आओ, कुछ ऐसा करें कि ये मिट्टी हम पर गर्व करे।
भारत माता की जय।

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