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देवर्षि नारद जयंती के शुभ अवसर पर
(ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा)

हम सभी जानते हैं कि विश्व में भारत की सभ्यता और संस्कृति सबसे प्राचीन है। इस नाते हम भारतवासियों को गर्व होता है। जब विदेशी आक्रमणकारियों ने अपने देश पर आक्रमण किया , तो उन्होंने केवल अपने देश की आर्थिक संपत्ति को ही नहीं लूटा , बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी तहस-नहस किया। उन्होंने हमारे देश की विभूतियां के बारे में अनाप-शनाप कहा, जिससे हमारी श्रद्धा उन महान विभूतियों के प्रति समाप्त हो जाए!

इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण देवर्षि नारद जी का है। इनके बारे में समाज में सुनियोजित तरीके से गलत एवं भ्रामक धारणाएं फैलाई गईं। वामपंथियों द्वारा भक्त नारद जी को एक " चुगलखोर " के रूप में पेश किया गया। जो चुगली करता है तथा एक दूसरे को आपस में लड़वाता है , ऐसे लोगों के लिए आज भी कहा जाता है कि तुम बड़े " नारद मुनि " बनते हो !
वास्तविकता तो यह है कि नारद जी विश्व के प्रथम पत्रकार थे। उन्होंने एक निष्पक्ष संवाददाता की भूमिका निभाई थी।

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