7 ث - ترجم

हनुमान की तरफ कन्खियों से देखते हुए रावण बोला
"राम! में महादेव शिव का भक्त ही नहीं उनका दास भी हूं। मुझे मात्र महादेव ही प्रिय है, किंतु मैं देख रहा हूं कि मेरे आराध्य शिव तो तुम्हारे भक्त हैं और तुम्हें अति प्रिय है। मेरे निदान के लिए उन्होंने तुम्हारा चयन किया है राम, क्योंकि महादेव अपने इस हठी, दुराग्रही, अति प्रिय शिष्य को मृत्यु नहीं मुक्ति प्रदान करवाना चाहते हैं।"
प्रभु श्री राम ने कहा,
महात्मा यह सब कुछ आप राम से मित्रता करके भी तो प्राप्त कर सकते थे। फिर मेरे प्रति आपका शत्रु भाव का कारण क्या है।
यह सुनकर रावण मुस्कुराते हुए बोला, " राम ! तुम्हारी मित्रता मुझे ज्ञान से भर देती और रावण को ज्ञान नहीं, ज्ञान से मुक्ति चाहिए थी।"

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