गले का कैंसर था। पानी भी भीतर जाना मुश्किल हो गया, भोजन भी जाना मुश्किल हो गया।
तो विवेकानंद ने एक दिन अपने गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस से कहा कि “आप माँ काली से अपने लिए प्रार्थना क्यों नही करते?
क्षणभर की बात है, आप कह दें, और गला ठीक हो जाएगा! तो रामकृष्ण हंसते रहते, कुछ बोलते नहीं।
