यह कहानी एक माँ और बेटी की नहीं… बल्कि ममता के कत्ल की है। राजलक्ष्मी कर — एक 54 वर्षीय महिला, जिसने 13 साल पहले भुवनेश्वर की सड़कों से एक नवजात बच्ची को उठाकर उसे अपनी बेटी बना लिया। उसका खुद का कोई बच्चा नहीं था। पति के गुजरने के बाद उसने उस बच्ची को अकेले पाला… पढ़ाया… स्कूल में दाखिला कराया… और उसके लिए एक अच्छी ज़िंदगी का सपना देखा।
लेकिन उस बेटी ने क्या किया?
👉 सिर्फ 13 साल की उम्र में, उसने दो अधेड़ उम्र के मर्दों के साथ मिलकर अपनी मां को मार डाला — क्योंकि वो उसके रिश्ते और संपत्ति के खिलाफ थी।
🔸 पहले गहने चुराकर प्रेमी को दे दिए
🔸 फिर तकिए से मुंह दबाकर हत्या की
🔸 और बाद में झूठ बोलकर शव को पुरी में जला दिया — कहकर कि "दिल का दौरा पड़ा था"
लेकिन झूठ ज़्यादा दिन नहीं टिकता।
मां की हत्या का सच मोबाइल चैट्स, तकिए और चोरी के जेवरों से बाहर आ गया… और तीनों आरोपी अब सलाखों के पीछे हैं।
सवाल ये नहीं कि उसने हत्या क्यों की…
सवाल ये है — क्या अब इस दुनिया में रिश्तों की कीमत इतनी सस्ती हो गई है?
एक ऐसी माँ, जिसने गोद लिया… और ज़िंदगी भर सब कुछ दिया…
क्या वो सिर्फ इस वजह से मार दी गई कि बेटी को प्यार और संपत्ति चाहिए थी… लेकिन संस्कार नहीं?
💔 ये पोस्ट उस हर इंसान के लिए है जो ममता को समझता है।
अगर आपके दिल में भी इस घटना को पढ़कर पीड़ा हुई —
तो एक बार शेयर जरूर करें ताकि दुनिया देखे कि हर “बेटी” होने का मतलब “धन्य” होना नहीं होता।
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