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मनीषा चौहान ने महिला एशिया कप में चीन को हराकर भारतीय महिला हॉकी में अपनी छाप छोड़ी।
उत्तराखंड के हरिद्वार की इस डिफेंडर ने हांगझोउ में 5 से 14 सितंबर 2025 तक चले इस टूर्नामेंट में भारत की स्वर्ण पदक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फाइनल में भारत ने मेजबान चीन को हराकर न केवल खिताब जीता, बल्कि 2026 FIH महिला हॉकी विश्व कप के लिए क्वालिफाई भी किया। मनीषा की मजबूत रक्षा, सटीक पासिंग और पेनल्टी कॉर्नर डिफेंस ने भारतीय टीम को मुश्किल क्षणों में संभाला। खासकर फाइनल में उनकी चुस्ती और रणनीति ने चीन की आक्रामक रणनीति को विफल किया। निक्की प्रधान और उदिता जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के साथ उनकी रक्षा पंक्ति अभेद्य रही।
मनीषा ने स्कूल स्तर पर हॉकी शुरू की और 2016 में उत्तराखंड की जूनियर टीम की कप्तान बनीं। 2023 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में हैट्रिक के साथ उन्होंने राष्ट्रीय शिविर में जगह बनाई। 2024 की एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में थाईलैंड के खिलाफ उनके पहले अंतरराष्ट्रीय गोल ने उनकी प्रतिभा को उजागर किया। चुनौतियों का सामना करते हुए, 2018 में राष्ट्रीय शिविर से बाहर होने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और घरेलू टूर्नामेंट्स में अपने खेल को निखारा। कोच हरेंद्र सिंह के मार्गदर्शन ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया।
स्वर्ण पदक जीतने के बाद मनीषा का गृहनगर में भव्य स्वागत हुआ। वह युवा खिलाड़ियों, विशेषकर लड़कियों, को हॉकी और शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करती हैं। उनके प्रशिक्षण सत्र स्थानीय बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। मनीषा की मेहनत और लगन ने उन्हें भारतीय हॉकी की नई उम्मीद बनाया। उनकी यह जीत उत्तराखंड और पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। वह अब 2026 विश्व कप में भारत के लिए और बड़ी उपलब्धियां हासिल करने की दिशा में बढ़ रही हैं।

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