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28 साल के मोहम्मद बासित, जिनकी परवरिश एक अकेली माँ ने की, आज गरीबों और जरूरतमंदों के लिए उम्मीद और सम्मान की किरण बने हुए हैं।

अपनी माँ के अथक संघर्ष और देखभाल को सम्मान देने के लिए उन्होंने अपनी एम्बुलेंस सेवा का नाम रखा – “अन्नई एम्बुलेंस”।

दो साल पहले तमिलनाडु के राजापालयम स्तिथ एक अस्पताल में नवजात शिशु की रोने की आवाज़ के बीच उस बच्चे की माँ का शव पड़ा था।

परिवार के पास शव को घर ले जाने का कोई साधन नहीं था। बासित ने बिना किसी शुल्क के शव को 15 किलोमीटर दूर घर तक पहुँचाया, सम्मान और सहानुभूति के साथ अंतिम यात्रा सुनिश्चित की।

सिर्फ एम्बुलेंस सेवा ही नहीं, बासित बेसहारा और मानसिक रूप से बीमार लोगों को आश्रय गृह तक पहुँचाने, सरकारी अस्पतालों में मदद करने और कोविड-19 महामारी के दौरान सड़क पर लावारिस लोगों का अंतिम संस्कार करने तक की जिम्मेदारी उठाते हैं।

उनकी पत्नी, नर्स अनिशा फातिमा, भी उनके साथ हैं और जरूरतमंदों को मुफ्त प्राथमिक चिकित्सा और आपातकालीन मदद देती हैं।

बासित आगे और एम्बुलेंस जोड़ने और वंचित बुज़ुर्गों के लिए आश्रय गृह शुरू करने का सपना देखते हैं। उनकी सेवा साबित करती है कि एक छोटा सा दया का कार्य भी समाज में उम्मीद की लहर पैदा कर सकता है।

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