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वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है,
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।
महान साहित्यकार, संस्कृति के सजग प्रहरी और राष्ट्र की आत्मा के प्रखर उद्घोषक, ‘पद्म भूषण’ 'राष्ट्रकवि' रामधारी सिंह 'दिनकर' की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
उनकी कालजयी रचनाओं में क्रांति का स्वर, किसान की पीड़ा और रणभूमि का शौर्य गूंजता है।
'दिनकर' जी की अमर रचनाएं हर पीढ़ी को देशभक्ति, साहस और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहेंगी।

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