दुर्गा के रूप में माता के नौ स्वरूपों के होने का अलग-अलग उद्देश्य और कथाएं हैं। माँ स्कंदमाता, जिन्हें नवरात्रि के पाँचवें दिन पूजा जाता है, न सिर्फ माँ दुर्गा का एक योद्धा स्वरूप हैं, बल्कि एक ममतामयी माता का भी स्वरूप हैं। अपने इस स्वरूप में वो भगवान् कार्तिकेय के बाल रूप को अपने गोद में लिए बैठी हैं। भगवान् कार्तिकेय को स्कन्द नाम से भी जाना जाता है। माता को यह नाम इसलिए मिला क्योंकि ये कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। माँ का यह स्वरूप सन्देश देता है कि हर स्त्री के भीतर पालन करने वाली और युद्ध करने वाली दोनों शक्तियाँ हैं। माँ सिखाती हैं कि करुणा कमजोर नहीं, बल्कि सबसे बड़ी शक्ति है। माँ सिखाती हैं कि ज्ञान और शक्ति दोनों आवश्यक हैं, केवल प्रेम से नहीं, कभी-कभी संघर्ष भी ज़रूरी होता है। माँ के इस स्वरूप की उपासना से साधक को मातृवत् स्नेह, शांति और आध्यात्मिक प्रगति की प्राप्ति होती है