क्रौंच-युगल के 'शोक' को 'श्लोक' में परिणत कर, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के यशोगान को विश्व-भूमि पर प्रवाहित करने वाले, विश्व के प्रथम कवि, कुलगुरु महर्षि वाल्मीकि को उनके प्राकट्य-पर्व पर कृतज्ञ प्रणाम। आपकी काव्य-चेतना संपूर्ण कुल के लिए सदा सर्वदा प्रेरणा-स्रोत बनी रहेगी🙏।
