संत हृदय नवनीत समाना। कहा कबिन्ह परि कहै न जाना॥
निज परिताप द्रवइ नवनीता। पर सुख द्रवहिं संत सुपुनीता॥🪷
👏संत द्वय परम पूज्य और प्रातः स्मरणीय श्री राजेंद्र दास जी महाराज और श्री प्रेमानंद जी महाराज का अद्भुत और विलक्षण मिलन। यहां दोनों में से कोई खुद को बड़ा मानने को तैयार नहीं है और दोनों एक दूसरे के चरणों में साष्टांग दंडवत हैं। आप जैसे संत हमारी सनातन की पहचान हैं।👏
🙏जय जय सियाराम 🙏
