6 C - Traduzir

करें भक्ति भगवंत की, कबहुं करै नहिं चूक।
हरि रस में राचो रहै, साँची भक्ति मलूक॥
मलूकदासजी कहते हैं मनुष्य को भगवान की भक्ति करनी चाहिए और उसमें कभी चूक नहीं करनी चाहिए।
जो व्यक्ति हरि के प्रेमरस (भक्ति-आनंद) में निरंतर लीन रहता है, वही सच्चा भक्त होता है।

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