5 d - Traduzir

🔥🔥 बिल्कुल सही किया उस पिता ने! 👏
आज के जमाने में जब "कन्यादान" को एक रिवाज़ की तरह निभाया जाता है, उस पिता ने उसे सोच में बदल दिया ❤️
💬 उस एक लाइन में इतना प्यार, सम्मान और जागरूकता थी —
> "मेरी बेटी कोई वस्तु नहीं, जिसे मैं दान करूँ" 🙌
💥 ये नहीं परंपरा तोड़ना है, ये है सोच बदलना!
क्योंकि शादी दो परिवारों का साथ है, ना कि किसी “दान” का लेनदेन।
✨ ऐसे पिता ही असली हीरो हैं — जो अपनी बेटी को ‘जिम्मेदारी’ नहीं, ‘गौरव’ मानते हैं 💖

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