ट्रेन की जनरल सीट पर भाई साहब ऐसा कब्जा जमाए बैठे हैं
जैसे इस डिब्बे की रजिस्ट्री इन्हीं के नाम हो!
पूरी सीट पर ऐसे पसरे पड़े हैं जैसे राजस्थान वालों की ‘सीट पकड़ो’ ट्रेनिंग करके आए हों!
भीड़ इतनी है कि दीवार भी जगह मांग रही है, लेकिन भाई साहब को इंसानियत दिखाने की कोई जल्दी नहीं।
रेल सेवा वाले भी कहते थे– ‘हम सबका ध्यान रखेंगे’… शायद ‘सब’ से उनका मतलब सिर्फ इसी भाई साहब से था!