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चक्रवर्ती सम्राट वीर विक्रमादित्य महाराज (ईसा पूर्व की प्रथम शताब्दी से लेकर)
से लेकर महाराजा महलकदेव (सन् 1305 ई.) तक परमार(पँवार) राजवंश ने मालवा को विदेशी आक्रांताओं से बचाए रखा था।

जब मुस्लिम आक्रामक अलाउद्दीन खिलजी ने देश के अनेक भागों पर कब्जा कर लिया तो भला मालवा उसकी नजरों से कब तक बचा रहता ?

फिर मालवा तो धनधान्य से संपन्न होने के साथ ही दक्षिण का द्वार (दरवाजा) था। मालवा को विजय किए बिना दक्षिण विजय उसके लिए असंभव थी।

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