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एक मजदूर पिता 105 किलोमीटर साइकिल चलाकर अपने बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए पहुँचा और दो दिन का राशन भी अपने साथ लेकर चला। जी हाँ बच्चे को पढ़ाने का माता-पिता में कैसा जज़्बा होता है इसका बेहतरीन लेकिन आंखें भर देने वाला नज़ारा मध्य प्रदेश के धार में दिखा. पेशे से मज़दूर एक बेबस पिता साइकिल पर 105 किमी का रास्ता तय कर बेटे को परीक्षा दिलाने पहुंचा।

पढ़ाई की अहमियत को समझते हुए गरीब और अनपढ़ 38 वर्षीय पिता अपने बच्चे के साथ धार पहुंचने के लिए साइकिल से निकल पड़ा. दोनों पिता-पुत्र साइकिल पर अपने साथ दो दिन के खाने-पीने का सामान भी लेकर आए थे।

पिता साइकिल चलाता रहा और बेटा अपनी कॉपी किताबों के साथ बोरिया बिस्तर पकड़े साइकिल पर पीछे बैठा रहा और 105 किलोमीटर का सफ़र साइकिल से तय कर बेटे को परीक्षा केंद्र तक पहुंचाया।

जिसके बाद धार में आशीष ने भोज कन्या विद्यालय में परीक्षा दी. आशीष के पिता शोभाराम का कहना है कि पैसे और कोई साधन नहीं होने के कारण इसे साइकिल से ही परीक्षा दिलवाने ले आया हूं. मेरे पास मोटर साइकिल नहीं है और किसी ने मेरी मदद नहीं की. मुझे पढ़ाई की अहमियत पता है। मैं चाहता हूं मेरा बच्चा कुछ पढ़ लिख जाए इसलिए मैं साइकिल से ही चला आया। See less

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