21 Std - übersetzen

ना खून का रिश्ता,
ना कोई मतलब…
फिर भी इस माँ और उसके छोटे बच्चे चीकू की ज़िंदगी बदल दी एक चायवाले सुकुमार काका ने।
करीब डेढ़ साल पहले, जब चीकू अपनी माँ के पेट में था, उसके पिता ने एक दिन अचानक उसे दमदम स्टेशन (पश्चिम बंगाल) पर छोड़ दिया सारा सामान, पैसे, और फोन लेकर गायब हो गया। इन्हीं हालातों में, उसने स्टेशन पर ही चीकू को जन्म दिया। चीकू जब सिर्फ 3 दिन का था, तो उसकी माँ प्लेटफॉर्म नंबर 5 पर, सुकुमार काका की चाय की दुकान के सामने रो रही थी। काका ने जब उसकी कहानी सुनी, उनकी आंखों में आंसू आ गए।
उन्होंने बस इतना कहा- "कल से तुम्हारा खाना मेरे घर से आएगा।"
तब से आज तक…
काका ही माँ-बेटे का ख्याल रखते हैं, चीकू की देखभाल में स्टेशन के मुसाफिर भी मदद करते हैं हर दिन करीब 8 घंटे, कोई उसे गोद में रखता है,
तो कोई खिलाता है, ताकि उसकी माँ काम पर जा सके।
आज चीकू की माँ को एक घर मिला है, थोड़ा सुकून मिला और एक ऐसा साया, जो खून का नहीं, पर दिल से पिता जैसा है।
वो माँ खुद कहती है, "अगर मेरे पिता ज़िंदा होते, तो भी वो काका जितना मेरा ख्याल नहीं रखते। इस प्यार और मदद को मैं कभी नहीं चुका सकती।"
दमदम स्टेशन पर ये कहानी हर उस इंसान को उम्मीद देती है, जो सोचता है दुनिया में अच्छाई नहीं बची।
देखिए इस कहानी का खास वीडियो : https://www.instagram.com/reel/DJQblh-v0Tl/
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