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एसआईआर को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने खुद एक कड़ा और बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया — जिसने पूरी बहस की दिशा बदल दी। विपक्ष की ओर से तर्क दिया जा रहा था कि लाखों लोगों के वोट काटे जा रहे हैं और एसआईआर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ हैं। कपिल सिब्बल, प्रशांत भूषण और अन्य वरिष्ठ वकील लगातार यही मुद्दा उठा रहे थे। लेकिन सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने ऐसा तथ्य सामने रखा कि पूरा माहौल बदल गया।
CJI ने कहा —
“बिहार में दावे किए गए थे कि लाखों लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं। हम भी डर गए थे… कहीं सच में तो ऐसा नहीं हो रहा। इसलिए हमने पैरालीगल वॉलंटियर्स भेजे, लेकिन वहां तो एक भी व्यक्ति नहीं आया। किसी ने नहीं कहा कि उसका नाम गलत तरीके से काट दिया गया है।”
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि जो नाम हटाए गए, वे या तो मृतक थे, या दूसरे राज्यों में चले गए थे, या फिर डुप्लिकेट वोटर्स की श्रेणी में पाए गए। CJI के अनुसार, इससे यह संकेत मिला कि “बिहार में काम सही तरीके से किया गया।”
जस्टिस बागची ने भी यही सवाल उठाया कि लाखों नाम हटाए जाने के दावों के बावजूद जमीन पर कोई चुनौती सामने क्यों नहीं आई। कोर्ट ने कहा कि सबसे दूरस्थ इलाकों में भी यह प्रक्रिया लोगों के संज्ञान में थी, फिर भी किसी एक भी वोटर ने कोर्ट में शिकायत नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही यह सुनवाई किसी राज्य में एसआईआर रोकने या लागू करने के मुद्दे पर नहीं, बल्कि एसआईआर की संवैधानिकता और व्यापक कानूनी प्रश्नों पर केंद्रित है। विपक्ष की चिंताओं को सुना जा रहा है, लेकिन कोर्ट की प्रारंभिक टिप्पणियों ने यह भी साफ कर दिया है कि आरोपों और वास्तविकता के बीच बड़ा अंतर हो सकता है।
#fblyfestyle #sir #supremecourt #electioncommission #cji #indianews #legalupdateएसआईआर को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने खुद एक कड़ा और बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया — जिसने पूरी बहस की दिशा बदल दी। विपक्ष की ओर से तर्क दिया जा रहा था कि लाखों लोगों के वोट काटे जा रहे हैं और एसआईआर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ हैं। कपिल सिब्बल, प्रशांत भूषण और अन्य वरिष्ठ वकील लगातार यही मुद्दा उठा रहे थे। लेकिन सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने ऐसा तथ्य सामने रखा कि पूरा माहौल बदल गया।
CJI ने कहा —
“बिहार में दावे किए गए थे कि लाखों लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं। हम भी डर गए थे… कहीं सच में तो ऐसा नहीं हो रहा। इसलिए हमने पैरालीगल वॉलंटियर्स भेजे, लेकिन वहां तो एक भी व्यक्ति नहीं आया। किसी ने नहीं कहा कि उसका नाम गलत तरीके से काट दिया गया है।”
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि जो नाम हटाए गए, वे या तो मृतक थे, या दूसरे राज्यों में चले गए थे, या फिर डुप्लिकेट वोटर्स की श्रेणी में पाए गए। CJI के अनुसार, इससे यह संकेत मिला कि “बिहार में काम सही तरीके से किया गया।”
जस्टिस बागची ने भी यही सवाल उठाया कि लाखों नाम हटाए जाने के दावों के बावजूद जमीन पर कोई चुनौती सामने क्यों नहीं आई। कोर्ट ने कहा कि सबसे दूरस्थ इलाकों में भी यह प्रक्रिया लोगों के संज्ञान में थी, फिर भी किसी एक भी वोटर ने कोर्ट में शिकायत नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही यह सुनवाई किसी राज्य में एसआईआर रोकने या लागू करने के मुद्दे पर नहीं, बल्कि एसआईआर की संवैधानिकता और व्यापक कानूनी प्रश्नों पर केंद्रित है। विपक्ष की चिंताओं को सुना जा रहा है, लेकिन कोर्ट की प्रारंभिक टिप्पणियों ने यह भी साफ कर दिया है कि आरोपों और वास्तविकता के बीच बड़ा अंतर हो सकता है।
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