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दिल्ली में रहने वाली 22 साल की प्रणव बॉक्सर ग्रोवर, अपनी ज़िंदगीके साथ हिम्मत, संवेदना और निरंतर सेवा की मिसाल बनाकर खड़ी हुई हैं।
बचपन में उन्हें न समझा गया और न अपनापन मिला। स्कूल की पिकनिकों से लेकर हर सामाजिक जगह तक उन्हें बार-बार अलग किया गया। जब इंसानों ने साथ छोड़ दिया, तभी अपने ब्लॉक की एक स्नेट्रीट डॉग उन्हें बिना शर्त प्यार दिया। वहीं से जानवरों के प्रति उनकी करुणा की शुरुआत हुई।
वे जानवरों से इसलिए भी गहरा जुड़ाव महसूस करती हैं क्योंकि समाज अक्सर उन्हें भी उतना ही अनदेखा करता है जितना एक ट्रांस महिला को। लेकिन प्रणव ने अपनी पहचान को कभी कमजोरी नहीं बनने दिया। बल्कि वह उनकी ताकत बनी।
आज वो राजधानी दिल्ली में सक्रिय रूप से जानवरों को बचाने का काम करती हैं और अपना जीवन उनके कल्याण को समर्पित कर चुकी हैं।
पिछले पाँच वर्षों में प्रणव ने 500 से अधिक जानवरों को बचाया, जिनमें से कई को हिंसा, लापरवाही और अत्याचार का सामना करना पड़ा था। उनका लक्ष्य स्पष्ट है: कोई भी जानवर इंसानी क्रूरता की वजह से न मरे—हर एक को सम्मानित और प्राकृतिक जीवन मिले।
उनकी इसी निरंतर सेवा और समर्पण के लिए उन्हें हाल ही में करमवीर चक्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
प्रणव की कहानी यह साबित करती है कि बदलाव हमेशा भीतर से शुरू होता है। उन्होंने किसी का इंतज़ार नहीं किया बल्कि वे खुद अपनी मदद बनीं और वह प्यार बनीं जिसकी उन्हें एक समय आवश्यकता थी। वही प्यार उन्होंने उन जानवरों को दिया जिन्हें उसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।
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