पटना। पीएमसीएच के ऑपरेशन थिएटर में तीन वर्ष की एक बच्ची को बेहोश किया गया, पर वह होश में ही नहीं आई। उसकी मौत ने व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मशीनों की अनुपलब्धता से लेकर अनदेखी तक की बात की जा रही है। स्वजन ने गंभीर आरोप लगाए हैं। अस्पताल प्रबंधन ने जांच समिति का गठन किया है, जो 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी।
अवंतिका राय की मौत रविवार को हो गई थी, जिसके बाद स्वजन ने अस्पताल की व्यवस्था, ओटी सिस्टम और एनेस्थीसिया प्रक्रिया को भी कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने इस मामले को हाईकोर्ट ले जाने की बात कही है। साथ ही मानवाधिकार आयोग एवं अन्य न्यायिक मंचों पर भी अपील की है।
गोपालगंज जिले के कटिया गांव निवासी शैलेश राय की बेटी अवंतिका 27 नवंबर को खेलने के दौरान ट्रैक्टर से गिर गई थी। इससे उसके दोनों पैरों में फ्रैक्चर हो गया। स्थानीय उपचार के बाद उसे उसी रात पीएमसीएच की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया।
जांच के बाद दो दिसंबर को हड्डी रोग विभाग में ऑपरेशन तय हुआ। डाक्टरों की ओर से तैयार ईएमआर रिपोर्ट के अनुसार, सर्जरी से पहले बच्ची को काडल ब्लाक (क्षेत्रीय एनेस्थीसिया) दिया गया। इसके बाद टीवा (टोटल इंट्रावेनस एनेस्थीसिया) तथा प्रोपोफोल, केटामाइन और ब्यूपिवाकेन जैसी दवाएं दी गईं।
स्वजन का आरोप है कि यह 'डबल डोज' था, इसे बच्ची सहन नहीं कर सकी। हालांकि, चिकित्सकीय जांच में ही स्पष्ट होगा कि लगाए गए आरोप कारण हैं या नहीं। रिपोर्ट में दर्ज है कि एनेस्थीसिया देने के 30-45 मिनट बाद बच्ची की तबीयत बिगड़ी।
ऑपरेशन के दौरान दिल की धड़कन रुकने पर सीपीआर और वेंटिलेशन दिया गया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद छह दिसंबर को 11:45 बजे उसे मृत घोषित कर दिया गया।
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