11 वर्ष पहले आज के ही दिन दुनिया के सबसे उपेक्षित, पीड़ित और शोषित बच्चों की तरफ से मैंने नोबेल शांति पुरस्कार ग्रहण किया था। मैं उन सभी के प्रति कृतज्ञ हूं, जिनके कारण यह संभव हो सका।
ओस्लो के उस समारोह में मैंने दुनिया के सबसे अधिक पीड़ित बच्चे के लिए पहली पंक्ति में एक कुर्सी खाली रखवाई थी, ताकि हमें हमेशा अपनी जिम्मेदारी का एहसास बना रहे।
आज भी लगभग 14 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हैं और 24 करोड़ शिक्षा से वंचित हैं। करोड़ों निरीह और निरपराध बच्चे युद्धों और हिंसा से पीड़ित हैं और भुखमरी के शिकार बने हुए हैं। उनके बचपन को बचाकर पहली पंक्ति में बैठाने के लिए मेरा संघर्ष जारी रहेगा, और हम इसे हासिल करके रहेंगे।
इसी संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए हमने करुणा का वैश्विक आंदोलन शुरू किया है। मैं आपका आह्वान करता हूँ।

imageimage