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🔥इतिहास की अनसुनी दास्तान! क्या आप सच जानते हैं🔥
देश की आजादी और बंटवारे के दौर में जो हुआ, उसे आज भी कई नजरियों से देखा जाता है। महात्मा गांधी, जिन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है, उनकी हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने की थी। यह घटना भारतीय इतिहास का एक विवादास्पद अध्याय है।
पोस्ट में जो बात कही गई है—कि "गांधी देश के लिए नहीं मरा था, देश बचाने के लिए गांधी को मारा गया था, नाथूराम गोडसे अमर रहे"—यह विवादित विचार उस समय की राजनीतिक उथल-पुथल, भारत-पाकिस्तान के विभाजन और गांधीजी की कुछ नीतियों के विरोध को दर्शाता है। गोडसे का मानना था कि गांधी की नीतियाँ, विशेष रूप से विभाजन और पाकिस्तान को धन देने के फैसले, देश के हित के खिलाफ थे, और इसलिए उन्होंने इस चरमपंथी कदम को उठाया।
जबकि भारत सरकार और दुनिया भर में गांधी को अहिंसा और स्वतंत्रता आंदोलन के नायक के रूप में याद किया जाता है, नाथूराम गोडसे का पक्ष लेने वाले लोग उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखते हैं जिसने उनके अनुसार, देश को एक बड़ी गलती से बचाने की कोशिश की।
यह पोस्ट इतिहास के एक ऐसे पहलू को उजागर करती है जिस पर समाज हमेशा दो ध्रुवों में बंटा रहा है। इस पर आपकी क्या राय है? अपनी राय कमेंट में ज़रूर दें! 👇
यह पोस्ट पूरी तरह से ऐतिहासिक रूप से संवेदनशील और विवादास्पद विषय पर है, और यह विचार एक पक्ष विशेष का है।
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