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आज संसद में वोट चोरी पर हुई गरमागरम बहस के बीच अमित शाह ने जैसे ही पुराने तीन बड़े ‘वोट चोरी’ मामलों का ज़िक्र किया—नेहरू काल से लेकर इंदिरा गांधी और फिर सोनिया गांधी के दौर तक—पूरा विपक्ष तिलमिला उठा। आरोपों का जवाब देना तो दूर, माहौल गर्म होते ही विपक्ष का एक बड़ा हिस्सा सदन से बाहर निकल गया।
यह दृश्य साफ दिखाता है कि जब खुद उठाया हुआ मुद्दा ही भारी पड़ने लगे, तब बहस में टिकना मुश्किल हो जाता है। अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि लोकतंत्र बहस से चलता है, भागने से नहीं—और यह बात आज के हालात देखकर बिल्कुल सही भी लगती है।
वोट चोरी पर सच्चाई क्या है, इतिहास क्या कहता है और सुधार कैसे होने चाहिए—इन सभी सवालों से भागकर जवाब नहीं मिलता। जनता सब देख रही है… कौन सवाल पूछ रहा है और कौन सवाल से भाग रहा है।
Disclaimer: यह पोस्ट उपलब्ध समाचारों के आधार पर सामान्य राजनीतिक टिप्पणी है।

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