6 hrs - Translate

दो दिन में पुतिन ने वही कर दिखाया, जो चार साल से अधूरा था — यूक्रेन संकट के बीच उनका भारत दौरा रूस के लिए एक ऐतिहासिक कूटनीतिक जीत बनकर उभरा। ऐसे समय में जब अमेरिका और यूरोपीय देश मिलकर रूस को वैश्विक मंच से अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे थे, पुतिन का भारत आना और यहां मिली उच्च स्तरीय मान्यता ने दुनिया को स्पष्ट संकेत दे दिया कि रूस को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रोटोकॉल तोड़कर एयरपोर्ट पहुंचना, निजी डिनर, और राष्ट्रपति भवन में भव्य स्वागत—इन सभी ने यह दर्शाया कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में रूस की प्रासंगिकता बरकरार है और भारत उसे एक अहम साझेदार के रूप में देखता है। इस यात्रा ने न केवल राजनीतिक संदेश दिया बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी रूस के लिए सुरक्षा कवच तैयार किया। दोनों देशों ने 2030 तक का आर्थिक रोडमैप तय किया, जिसमें ऊर्जा, रक्षा, बैंकिंग, अंतरिक्ष और स्थानीय मुद्रा में व्यापार जैसे क्षेत्रों में बड़े सहयोग की योजना शामिल है—जो पश्चिमी प्रतिबंधों से जूझ रहे रूस के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पुतिन का राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देना भी शांति और संवाद का प्रतीकात्मक संदेश था, जिसने इस यात्रा को और गहरा अर्थ प्रदान किया। यह दौरा दिखाता है कि वैश्विक शक्ति संतुलन बदल रहा है, और भारत–रूस साझेदारी उसका केंद्र बनती जा रही है।

image