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1971 के भारत-पाक युद्ध के अमर नायक, परमवीर चक्र से सम्मानित सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल जी के बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन।
देश की रक्षा के लिए मात्र 21 वर्ष की आयु में रणभूमि में प्रदर्शित उनका अद्भुत साहस, अटूट आत्मविश्वास और अद्वितीय पराक्रम आज भी सेना के हर जवान के लिए प्रेरणा का दीपस्तंभ है।
बसंतर के मोर्चे पर टैंक रेजिमेंट का नेतृत्व करते हुए अरुण खेत्रपाल जी ने जिस वीरता से दुश्मनों को परास्त किया, वह भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।
गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद मातृभूमि की रक्षा के लिए उनका अंतिम क्षण तक लड़ते रहना, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा का अनन्य उदाहरण है।

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